इस पुस्तक में मैं यह सविस्तार बताने जा रहा हूँ कि एक ऐसी मनोवैज्ञानिक तकनीक है जो स्वप्न व्याख्या को सपनों का अर्थ निकालने कोसम्भव बनाती है और यह भी कि इस तकनीक को लागू करने पर हर सपना स्वयं ही उस मनोवैज्ञानिक संरचना को, उस ताने-बाने को प्रकट कर देता है जिसका अपना भरपूर महत्त्व है और जो जाग्रत अवस्था के दौरान होने वाली मानसिक गतिविधियों में एक सुनिश्चित स्थान रखता है। साथ ही मैं उस प्रक्रिया को स्पष्ट करने का प्रयास का जो सपनों की विचित्रता और दुरुहता के मूल में रहती है और इन प्रक्रियाओं से उन मानसिक प्रबलताओं की प्रकृति तक पहुँचने का भी प्रयास करूँगा जिनका द्वंद्व या सहयोग हमारे सपनों के लिए ज़िम्मेदार रहता है। इतना हो जाने पर मेरी खोजबीन सत्य हो जाएगी क्योंकि तब यह उसं बिन्दु तक पहुँच चुकी होगी जहाँ स्वप्न की समस्या अधिक व्यापक समस्याओं में मिल चुकी होगी और उसका समाधान करने के लिए हमें विभिन्न प्रकार की सामग्री का सहारा लेना पड़ेगा।